ऐसी-वैसी बोली तेरे नैनों ने बोली
जाने क्यूँ मैं मैं डोली, ऐसा लागे तेरी हो ली मैं, तू मेरा
हम्म , तूने बातें खोली, कच्चे धागों में पिरो ली
बातों की रंगोली से ना खेलूँ ऐसे होली, मैं ना तेरा
क्यूँ ना तुझे मैं ही जीतूँ?
खुले ख़ाबों में जीते हैं, जीते हैं बावरे
मन के धागे, ओ, मन के धागे
धागे पे साँवरे, धागे पे साँवरे
है लिखा मैंने तेरा ही, तेरा ही
रस बुंदिया नयन, पिया रास रचे
दिल धड़-धड़ धड़के, शोर मचे
मैं जल जाऊँ, बस प्यार बचे
ऐसे डोरे डाले, काला जादू नैना काले
तेरे मैं हवाले हुआ, सीने से लगा ले, आ, मैं तेरा
ओ, दोनों धीमे-धीमे जलें, आजा दोनों ऐसे मिलें
ज़मीं पे लागे ना तेरे, ना मेरे पाँव रे
लागे रे साँवरे, लागे रे साँवरे
ले तेरा हुआ जिया का, जिया का
रहूँ मैं तेरे नैनों की, नैनों की, नैनों की छाँव रे
ले तेरा हुआ जिया का, जिया का, जिया का ये गाँव रे
रहूँ मैं तेरे नैनों की, नैनों की, नैनों की छाँव रे