बिन जिसके अक्सर मैं बेचैन मिला
बिन जिसके अक्सर मैं बेचैन मिला
कभी तो उससे तू मेरे नैन मिला
कभी तो उससे तू मेरे नैन मिला
यूँ ना मुझको तू दिन रैन जला
कभी तो उससे तू मेरे नैन मिला
अब तो काटती हैं रातें आँखों में
हो गयी है मोहब्बत मुझे गहरी गहरी
फ़ासले कर फ़ना कर ना तू देरी देरी
बेपनाह जल रही है जान मेरी
दे तू मुझको सुकून का सिला
कभी तो उससे तू मेरे नैन मिला
कभी तो उससे तू मेरे नैन मिला
बेखुदी में मैं आ गया हूँ वहा
सारे चेहरे में मुझको यार दिखे
कर दे बारिश करम की तू मुझपे ज़रा
अब तो मुमकिन नही यूयेसेस रहना जुदा
दे रही है तुझे रूह मेरी सदा
कभी तो उससे तू मेरे नैन मिला
कभी तो उससे तू मेरे नैन मिला
यूँ ना मुझको तू दिन रैन जला
कभी तो उससे तू मेरे नैन मिला