क्यूँ रूठी हो हम से यूँ ज़िंदगी
क्यूँ रूठी हो हम से यूँ ज़िंदगी
इससे कुछ भी ज़्यादा तो ना माँगा
बेसबब ही रूठने-मनाने की कड़ी में
एक खुशी कहीं पे खो गयी है इस घड़ी में
क्यूँ रूठी हो हम से यूँ ज़िंदगी
क्यूँ रूठी हो हम से यूँ ज़िंदगी
(दिन ना बीतें रातें ना खींचें)
(अपनी ओर जैसे हम हैं गैर)