LyricFind Logo
LyricFind Logo
Sign In
Share icon
Lyrics
रतिया कारी कारी रतिया
रतिया अंधियारी रतिया
रात हमारी तो चाँद की सहेली है
कितने दिनों के बाद आई वो अकेली है
चुप्पी की बिरहा है झींगुर का बाजे साथ

रात हमारी तो चांद की सहेली है
कितने दिनो के बाद आई वो अकेली है

समझा के बाती भी कोई बुझा दे आज
अंधेरे से जी भर के करनी है बातें आज

अँधेरा रूठा है अँधेरा बैठा है
गुमसुम सा कोने में बैठा है

रात हमारी तो चांद की सहेली है
कितने दिनों के बाद आई वो अकेली है

समझा के बाती भी कोई बुझा दे आज
अंधेरे से जी भर के करनी है बातें आज

अंधेरा पागल है कितना घनेरा है
चुभता है डसता है फिर भी वो मेरा है

अंधेरा पागल है कितना घनेरा है
चुभता है डसता है फिर भी वो मेरा है
उसकी ही गोदी में सर रख के सोना है
उसकी ही बाहों में चुपके से रोना है
आँखों से काजल बन बहता अंधेरा आज

रात हमारी तो चांद की सहेली है
कितने दिनों के बाद आई वो अकेली है

समझा के बाती भी कोई बुझा दे आज
अंधेरे से जी भर के करनी है बातें आज
अँधेरा रूठा है अँधेरा बैठा है
गुमसुम सा कोने में बैठा है

WRITERS

Swanand Kirkire

PUBLISHERS

Lyrics © Raleigh Music Publishing LLC

Share icon and text

Share


See A Problem With Something?

Lyrics

Other